गुरुवार, 21 जनवरी 2016

tanu thadani तनु थदानी देर तलक

किसी की शक्ल पे नज़रें फंसी थी;देर तलक !
वफा के नाम पर रस्साकशी थी ; देर तलक !






मैं उसके जिस्म से गुजरा ;मगर इक रूह न मिली ;
वो मेरी इस शिकायत पे हंसी थी ; देर तलक !






भले गंवार मैं साबित हुआ ; अफसोस नहीं ;
जो मुझमें भोली सी उमर बची थी; देर तलक !




जो बूढ़ी माँ की हथेली घुली ;आशीष दे दे ;
वो माँ की लोरियां ;मुझमें बसी थीं; देर तलक !




 























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