बुधवार, 16 दिसंबर 2015

tanu thadani तनु थदानी किसी की माँ न बिछुड़े

मेरे किस्सों में कैसे आ गई ; है प्यार की छाया !
हूँ माँ के साथ जो रहता ; वहीं से किस्से हूँ लाया !


अभी भी चोट लग जाये ; तो मुँह से माँ निकलता है ;
हमें तो अब तलक ; माँ के बिना;जीना नहीं आया !


गले लगना वो नन्हे हाथ से ; माँ के गले लिपट ;
सुकूं वो बालपन सा ; सच कहूं;तो फिर नहीं पाया !


किसी की माँ न बिछुड़े ; ऐ मेरे; मौला कुछ ऐसा कर;
कड़ी जीवन की धूप में ; सलामत माँ का हो साया !
----------------------- तनु थदानी

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