मंगलवार, 24 नवंबर 2015

tanu thadani तनु थदानी मैं खुशबू ढूंढ लाऊँगा

भले तुम चोर ही कह लो ; महज़ नींदे चुराऊंगा !
किसी से प्यार हूँ करता ;सो नफरत कर न पाऊंगा !


मुझे न चाहिये तलवार ;अंधेरों से लड़ने को ;
मैं घर के द्वार पे अपने ; दीया बस इक जलाऊंगा !


तेरे घर अब भी इक ;बच्ची ही आ; झाड़ू लगाती है ;
जो तेरा काम जनसेवा है ; तुझको क्या बताऊँगा ?


कुरेदो गंदगी ही गंदगी को ; तेरी फितरत है ;
मेरी आदत है तितली सी ; मैं खुशबू ढ़ूढ़ लाऊँगा !
------------------------ तनु थदानी

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