मंगलवार, 24 नवंबर 2015

tanu thadani तनु थदानी मैं खुशबू ढूंढ लाऊँगा

भले तुम चोर ही कह लो ; महज़ नींदे चुराऊंगा !
किसी से प्यार हूँ करता ;सो नफरत कर न पाऊंगा !


मुझे न चाहिये तलवार ;अंधेरों से लड़ने को ;
मैं घर के द्वार पे अपने ; दीया बस इक जलाऊंगा !


तेरे घर अब भी इक ;बच्ची ही आ; झाड़ू लगाती है ;
जो तेरा काम जनसेवा है ; तुझको क्या बताऊँगा ?


कुरेदो गंदगी ही गंदगी को ; तेरी फितरत है ;
मेरी आदत है तितली सी ; मैं खुशबू ढ़ूढ़ लाऊँगा !
------------------------ तनु थदानी

रविवार, 22 नवंबर 2015

tanu thadani तनु थदानी भोले दिल के नहीं ग्राहक हैं


जब कलपूर्जे ही नीयत के ; घिस के रद्दी हो जाते हैं !
चेहरे चिकने या गोरे हो ;वो साफ़ कहाँ रह पाते हैं !


हम कत्लगाह के बाशिंदे ; हम जन्नत - हूर- परी मांगे ;
पर काम किया करते ऐसे ; कि कहने में शरमाते हैं !


अब भले बुरे का पैमाना ; इकदम ही गैरजरुरी है ;
औक़ात यूं नापी जाती है ; कि कितना रोज कमाते हैं !


घर - घर में घातों के परदे ; यूं बड़े सलीके टंगे मिलें ;
ज्यूं नंगे खड़े थे बता रहे ; कि कपड़े पहन नहाते हैं !


मातम पे रोने वाले जब ; ढ़ेरो मिन्नत से हैं आते ;
ऐसे जीवन की शैली पे ; आंखों में आंसू आते हैं !


किडनी -लीवर -आँखें व रक्त ; अब सबके दाम हुए निश्चित;
भोले दिल के नहीं ग्राहक हैं ; बाज़ार के लोग बताते हैं !
------------------------- तनु थदानी