गुरुवार, 9 जुलाई 2015

चलो इक बार जी के देखते हैं तनु थदानी tanu thadani chalo ek baar je ke dekhte hain

 चलो इक बार जी के देखते हैं

 ये मेरी नींद भी तब तक,  मुकम्मल हो नहीं पाती !
प्रिय मेरी , मेरे सपनों में , जब तक आ नहीं जाती !

मेरी किस्मत भी तो इक कील है,जीवन फटी पतलून,
जिसे अक्सर बचाता हूँ , मगर वो कील चढ़ आती !

खुदा ने सब बनाया ठीक, बनाया दिल मगर ये क्यूँ ?
जहाँ यादें सदा  फंसती , मगर सांसे निकल जाती !

तुम्हारे  पास  भी  परिवार  था , था  पास  मेरे  भी ,
तुम्हारा प्यार ही तो  है , जो सबको  छोड़ के आती !

हमारे  पग  , हमारे   मैं   के  , लंबे , राह  में  भटके ,
जुबां  पे  नीम  की  खेती , हमें क्या खाक समझाती ?

नगाड़े  जब  बजे दूरी के , तब  इक  मौन  सोता था ,
उमर  के  इक  धमाके  ने , बनाया  फिर हमें  साथी !

चलो  दिमाग  की  खेती  में  हम ,  माफी  उगाते  हैं ,
चलो  इक  बार  जी  के ,  देखते हैं , फूल की भाँति !
---------------------------------------  तनु थदानी