शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी अच्छा नहीं लगता

कोई मारे या कि हत्या करे , अच्छा नहीं लगता !
करे  कोई  और  कोई  भरे , अच्छा नहीं लगता !

मेरे  चाचा  को  सांप पालने  का , शौंक चर्राया ,
विष  से मेरे  बेटे  मरे , अच्छा  नहीं  लगता !

मेरी  किताब  में  फरमान  है  जो कत्ल करने का ,
खुदा का बोल कर के जो पढ़े,अच्छा नहीं लगता !

हजारों आयतों में फांस कर, हमको फंसाया है ,
किया इंसान से हमको परे , अच्छा नहीं लगता !

मेरे अब्बू मेरी अम्मी , मेरे शिक्षक भी अल्लाह हैं ,
अल्लाह एक है इस पर लड़े , अच्छा नहीं लगता !


शुक्रवार, 12 दिसंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी बुरी खबर है

आदमी बन  के जी रहें थे ,मगर क्या ये हो गया ?
हमें हिन्दू - मुसलमां कर के हमें, कौन धो गया ??

मेरे परिवार का मसला था कि,अम्मी कहूँ या माँ ,
मगर नेता वो हिन्दी उर्दू का,मसला क्यूँ बो गया ?

मैं अपनी भूख के मुद्दे पे न,सो पाया पिछली रात ,
वो मेरा सांसद संसद में जा के, कैसे सो गया ?

यहां इसाईयत हिन्दू मुसलमां , सब सलामत है ,
बुरी खबर है इनकी भीड़ में , भारत ही खो गया !
-------------------------- तनु थदानी



रविवार, 7 दिसंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी गरं बिक गयें इक बार

गरं बिक गयें इक बार

जो हो न सका मुल्क का , वो भार ही होगा !
धरती का बोझ, धर्म का ,  विकार ही होगा !

हिन्दुत्व ओं इस्लाम तो , नफरत के जखीरे ,
भारत से जो हो प्यार तो,वो प्यार ही होगा !

तुम  लड़  रहे  भगवान के ,मकान  के  लिये ,
यूं  ही  नहीं ,ये भी तो इक,व्यापार ही होगा !

अल्लाह हमारी नस्ल का,ईश्वर तुम्हारी नस्ल,
जो  बोलता ये , अक्ल से , बीमार  ही  होगा !
                                 
काबा  में  मिले  राम  ,  बुतखाने  में  अल्लाह,
बचपन से गरं  पढ़े तो , खुदा  द्वार  ही  होगा !

जब  बैठ  भाई   संग  ,  खाओगे  खुशी  से ,
तुम  देखना  माँ  की  नज़र में,लाड़  ही  होगा !

मज़हब  की  दूकानो मे रखी , चीज नहीं हम,
गरं  बिक गयें इक बार तो , हर बार ही होगा !
                                   ------ तनु थदानी

शुक्रवार, 5 दिसंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी पैसे क्यूँ कमाते हैं

दरअसल होता यूं है , जब भी हम,पैसे कमाते हैं !
महज़ पैसे  कमा , इज्जत  कमाना , भूल जाते हैं !

हमें बिलकुल न भाती गंदगी ,कचरे की ये दुनियां,
तभी तो खिड़कीयों पे , मोटा सा ,पर्दा लगाते हैं !

खुदा ने बख्शी है खुशबू ,हवा पानी की नेमत जो ,
हम बोतल बंद  में , उन नेमतों  को , बेच आते हैं !

कभी सच सुनना हो मुझसे,तो ठेके आ के ही मिलना,
सभी कहते हैं दारू पी के ही , सच  बड़बड़ाते हैं !

हमारी  दोस्ती  दो  पैग  से , बनती  बिगड़ती  है ,
तभी तो  जिंदगी भर,  जिंदगी को , छटपटाते  हैं !

तेरी जीने की खातिर,  की गई,  चालाकियां प्रपंच,
तुम्हें बस दुःख में ही रहना , तेरी फितरत बताते हैं !

कभी  कब्रों  के  पास  बैठना , औकात  जानोगे ,
बनाते  हैं महल  लेकिन,वही  छे फुट ही  पाते  हैं !

यहाँ  पे  मौत पे  रोना , महज़ इक  रस्म  है  बंधु ,
ओं सीना तान के , हम  आदमी  हैं , ये बताते  हैं !

मेरी ग़ज़लों ने जिसको भी किया ,नंगा, पलट कर के ,
मैं हूं उन जैसा ही , ये कह के वो , दर्पण दिखाते हैं !

हमें  क्या  नींद- चैन- शांति , पैसों  से  मिलती  है ?
समझ में ये  नहीं  आता , कि  पैसे  क्यूँ  कमाते  हैं ??

बुधवार, 3 दिसंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी गज़ब हैं लोग सियासी

मैं मंदिर तोड़ आऊंगा , तुम मस्जिद तोड़ कर आना !
मैं  ईश्वर  छोड़  बैठा  हूँ , खुदा तुम छोड़ कर आना !

तभी  होगी  हमारी   दोस्ती , जब  भारतीय   होंगे ,
मैं पापा को मनाऊंगा , तुम अब्बू को भी समझाना !

क्यूँ  हमने  चाँद-  बकरे -रंग -टोपी , बाँट डाले  हैं ,
चलो  मैं गाऊं  कव्वाली , भजन तुम भी जरा गाना !

गज़ब  हैं लोग  सियासी , कि जो ज़ज्बात से खेलें,
हम  ही  हैं  शाह, नेताओं  ने  पर, प्यादा हमें माना !

चलो  इनकी  दूकाने  तोड़  , वंदे  मातरम्   बोलें ,
जहाँ  ये  बेचते  हमको  बना  के , धर्म  का दाना !

फ़कत  रस्मों  रिवाजों  ने , हमें  दुश्मन  बनाया  है ,
नहीं तो माँ भी घर में इक सी है ,ओं इक सा है खाना !

महज़ हम भारतीय हो कर जीयें , तो भी सुखी होंगे ,
जरूरी  है  नही  हिन्दुत्व  या , इस्लाम  अपनाना !