शनिवार, 29 नवंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी हर साल ही बाबा मुझे तुम घर बुलाओ ना

हूँ जी रही मैं ,खुश हूँ ये ,जिस तिस से कहला के !
क्यूँ  कर  दिया  परदेसी ,बाबा ,दुनियां में ला के ?

हम  बेटियों  का  ही  पता ,क्यूँ  कर  बदलता है ?
दुनियां  बदल  जाती  हमारी , पीहर  से  जा  के !

थे  रुठते  जो  घर  में  ,  हर   कोई  मनाता  था ,
ससुराल  में  तो हक़ नहीं , रुठे  भी  दिखला  के !

आयी  जो  बरसों बाद  मैं , तो सब  लिपट रोयें ,
मैं हँस रही थी , अपने  रोते  दिल को बहला के !

बस रो लिया ,मुस्का  लिया ,वो कुछ नहीं बोला ,
बाबुल ने प्यार कर लिया , बालों को सहला  के !

हर साल  ही  बाबा  मुझे  तुम, घर  बुलाओ  ना ,
भर  दूँगी घर बचपन से  मैं , हर साल यूँ आ के !

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