शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी चलो तुम्हें जन्नत दिखलाऊं

जिस दिन ग़ज़लें मेरी तुमको , एक चिकोटी काटेगी !
दुनियां से तब अलग दिखोगे , मौन तुम्हारा छांटेगी !

पहले इंसा बन जाओ,फिर हिन्दू-मुस्लिम बन जाना ,
अच्छी फितरत ही खुशियों से , रूह तुम्हारी पाटेगी !

भले पकाओ विष जीवन भर, याद रखो संतान तेरी ,
तय  है  जो भी  पका  मिलेगा , खायेगी  व  चाटेगी !

झरने - पंक्षी  सुर  को बांटे , हवा बाँटती  जीवन  है ,
जिस दिन हो  जाओगे  इनके , खुशी तुम्हें ये बांटेगी !

चलो  तुम्हें  जन्नत  दिखलाऊं , जो  तेरे ही घर में है ,
जन्नत वो ,जब दुःख आयेगा , तुम्हें हौंसला माँ देगी !

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