रविवार, 16 नवंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी मुझे ग़ज़लों की नज़र से ही पहचाना करो.

तुझे बस आईना दिखलाया , इतना खीज नहीं !
दिखेगी  भी  नहीं , गंर, तन पे है , कमीज नहीं !

मुझे  ग़ज़लों  की  नज़र  से ही , पहचाना  करो ,
कि  मैं  शक्ल  से , पहचान  वाली  चीज  नहीं !

किसी की  फिक्र में मिलता हूँ , खुशनसीबी मेरी ,
किसी भी  जिक्र  में रहने  की  ,है  तमीज  नहीं !

वो रोया , आँखें   मेरी , आंसुओं  से  भर  आई  ,
उसी  पे  ग़ज़ल  लिखूं  , इतना  बदतमीज  नहीं !

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