सोमवार, 24 नवंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी सियासत siyasat

सियासत अब यहाँ हिंसा को ही ,जुबान देती है !
मुझे हिंदू , तुझे मुस्लिम, यही  पहचान  देती  है !

सियासत ने हमारी शक्ल को ,इक वोट में बदला ,
चुनाव  में  तो हर ज़मीर  तक को , छान देती है !

सियासत होती है कि क्या पढ़े,क्या ना पढ़े बच्चे ,
सियासत  ही  यहाँ  स्कूल  में  , दूकान  देती  है !

कमाने  क्यूँ  निकल जाते  हैं  बच्चे , ये नहीं मुद्दा ,
सियासत बाल -मजदूरी पे बस,  फरमान देती है !

हमारी  किस  तरह  से  काटनी  है , जेब व गर्दन,
सियासत इक तवायफ की तरह,सब जान लेती है !

कवि जब खोलता है पोल, नेता की , सियासत की ,
सियासत इक सियासत की तहत,  सम्मान देती है !

कि जैसे  काटते  कुत्ते को , हड्डी  हम  खिलाते हैं ,
सियासत  एक  पदवी ,  इक दुशाला , दान देती है !

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