मंगलवार, 16 सितंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी हमारी भूख से है दोस्ती

जहाँ  एकांत  की  वारिस, कई  मज़बूरियां  होंगी !
वहाँ  मुस्कान  से खुशियों की भी , कुछ दूरियां होंगी !

यहाँ  जीवन  निपटता  है , महज़ इक घर बनाने में ,
ईमानदार    घर मालिक की शक्लें , झुर्रियाँ होंगी !

हमारे  देश के  नेताओं को , हल्के में ही  लेना  ,
उनकी बातें बड़ी , हाथों में मगर,  चूड़ियां  होंगी !

हमारी भूख से है दोस्ती , तुम   मानो न मानो ,
यहाँ बच्चों से सपने पूछो तो , बस पूरियां होगी !

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