सोमवार, 22 सितंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी तुम्हारी है नहीं गल्ती

कभी  जब  देखना  वो  ट्रेन  में , झाड़ू  लगायेगा !
लगा  झाड़ू  को  वो चुपचाप, हाथों को फैलायेगा !

फिसल के शक्ल उसकी ,कद, तुम्हारी आँख नापेगी ,
तेरा बच्चा नहीं तब भी तुम्हें , क्या याद आयेगा ?

किसी के पास उसके दर्द  का , मरहम  नहीं  होता ,
निगल के बालपन खुद का ,भला वो क्या बतायेगा ?

तुम्हारी  है  नहीं  गल्ती , तुम्हें  भी  है  पता ये  ही ,
कि  तेरी  आँख  लगते  ही  तेरा , जूता  चुरायेगा !

कभी  मासूमियत उसकी तुम्हें, मिल जाये ,रो लेना,
कि इससे ज्यादा तुमसे और कुछ भी, हो न पायेगा !

मंगलवार, 16 सितंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी हमारी भूख से है दोस्ती

जहाँ  एकांत  की  वारिस, कई  मज़बूरियां  होंगी !
वहाँ  मुस्कान  से खुशियों की भी , कुछ दूरियां होंगी !

यहाँ  जीवन  निपटता  है , महज़ इक घर बनाने में ,
ईमानदार    घर मालिक की शक्लें , झुर्रियाँ होंगी !

हमारे  देश के  नेताओं को , हल्के में ही  लेना  ,
उनकी बातें बड़ी , हाथों में मगर,  चूड़ियां  होंगी !

हमारी भूख से है दोस्ती , तुम   मानो न मानो ,
यहाँ बच्चों से सपने पूछो तो , बस पूरियां होगी !

सोमवार, 15 सितंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी मुझे फिर से दुलारो माँ

ये  दुनियां  ठग  का है मेला ,ये  ठग तो,जुल्म ढ़ा  गयें !
हमारी  आत्मा  से  , आत्मीयता   , को   सुखा   गयें  !

किसी  जल्लाद  के  आगे ,मैं  इक  गर्दन  हूँ  दुनियां  में ,
कभी  जो  दोस्त  थें , जल्लाद  के , माने  सिखा  गयें !

तेरे  घर  आने  से  पहले , वो  बक्से  छोड़  आया  माँ ,
कि जिसमें दुनियां भर  के ,दर्द  ओं  दुःख,थें समा गयें !

मैं  रोऊं  क्यूँ  भला माँ , जो तुम्हें , देखा है अरसे बाद,
मेरी  आँखों  में  ये आँसू  तो , शगुन, बन  के  आ  गये !

मुझे  फिर  से  दुलारो  माँ , मुझे  फिर  से  संवारो  ना ,
ये  दुनियांदारी  वाले  कहकहे , दिल  को  दुखा  गयें !