मंगलवार, 5 अगस्त 2014

tanu thadani तनु थदानी माँ मुझे दो नींद के , कतरे कहीं से भेज दो ना

एक बचपन था सुहाना ,बस उसी बचपन को ला दो !
माँ दो ,घर दो,फिर चमकता,सा शहर ये दो या ना दो !

मैं  तरसता  हिचकियों  को , और  तेरी  रोटियों को ,
माँ  मुझे  या  हिचकियां  दे , या  मुझे  दे रोटियां दो !

माँ  मुझे  दो  नींद  के , कतरे  कहीं  से  भेज  दो ना ,
या  तू  मेरे संग  हो  ये ,मुठ्ठी भर अहसास ला दो !

एक  अंधा  सा  कुआं  है , ये  मुआ  परदेस  सारा ,
गिर  रहा  मैं ,माँ  मुझे बस, रौशनी की रस्सीयां दो !

एक खबरी ने बताया , छत  टपकती  है अभी तक,
माँ ओं मैं लाचार  दोनों , ऐ खुदा! बारिश तो ना दो !

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