शनिवार, 31 मई 2014

tanu thadani तनु थदानी क्या होता है प्यार में ऐसा


सूख के पपड़ी, बने होंठ को , आँखों  से  ही  धोया है !
जेहन में मेरे एक शहर था ,खुशी का अब वो खोया है !

कई  नुकीलीं   यादें   मेरे , सीने  से  लग  सोती   हैं ,
पत्थर सा दिन पूरे दिन भर, दिल ने अक्सर ढ़ोया है !

दिल जो खुश होता मेरा तो , शब्द  नाचते  फिरते भी ,
शब्दों  ने अक्षर अक्षर में , लेकिन  जख्म  पिरोया है !

एक  अकेलेपन  का  जंगल ,  उस  पे  तेरी  खामोशी ,
मेरे  दिल  से  पूछो जो कि , पूरी  रात  न  सोया  है !

क्या  होता  है प्यार में ऐसा , कोई  मुझे  बताये  तो ,
दुःख दूजे का मिला के खुद में ,दिल क्यूँ मेरा रोया है ?

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