रविवार, 20 अप्रैल 2014

tanu thadani तनु थदानी हमारे धर्म गुरुओं ने सियासत सीख ली आखिर

थोड़ी शोहरत के लिये , शख्स जो , चेहरा बदलता है !
उमर भर उसका ही साया , अजनबी बन के चलता है !

जो हमने हाशिए रच कर , जगह दी प्यार को उसमें ,
सभी  मज़नून  में  हो  कर भी , न होने सा खलता  है !

यहाँ इज्जत की  हैं  कब्रें , हवस  की  लूट  है  होती ,
शहर मेरा सुबह  से  शाम  तक ,यूं  ही सुलगता  है !

तुम्हारे लफ्जों  में  अक्सर  सुना , सत्ता ज़हर होती ,
बताओ फिर तुम्हारा दिल क्यूँ,सत्ता को मचलता है ?

शहीदों  में  भी  हिंदू  ओं मुसलमां , गिन  रहें  नेता ,
धरम   की  आग  पर बे शर्म नेता , देश  तलता   है !

हमारे  धर्म गुरुओं ने , सियासत, सीख ली आखिर,
तभी आव्हान ओं फतवे से मेरा , दिल दहलता  है !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें