मंगलवार, 8 अप्रैल 2014

tanu thadani अगर तुम प्रेम में डूबे तनु थदानी


कोई  अल्लाह  है कहता , कोई  भगवान  कहता है !
अरे ! मिलता ये आखिर क्यूँ नहीं , कहाँ ये रहता है ?

कोई  घंटा  बजाता   है , कोई   अज़ान   है   देता ,
कबीरा उस सदी से इस सदी तक, क्यूँ ये सहता है ?

तुम  रोये  मंदिरों औं मस्जिदों  के , टूटने पे  क्यूँ ?
तुम रोते क्यूँ नहीं तब, घर, गरीबों का जो ढ़हता है !

हमें  तो  शर्म  है  आती , हमारे  आचरण  पे अब,
वफादारी में कुत्ता तक भी , हमसे आगे रहता है !

चलो  इक  घर बनाते हैं , वहाँ बचपन बनाते हैं ,
चलो फिर डूब के देखें , जहाँ बस प्रेम बहता है !

अगर तुम प्रेम में डूबे , तो मानव बन के निखरोगे ,
यही मस्जिद भी कहती है ,यही मंदिर भी कहता है !

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