शनिवार, 8 मार्च 2014

tanu thadani chalo khatey kasm hain ab. चलो खाते कसम हैं अब तनु थदानी


क्या हम इंसान थें , या हिन्दू मुस्लिम, क्या बतायेंगे ?
हम अपने बच्चों को , जाने से पहले क्या बतायेंगे ?

हमारे  देश  को  फाड़ा गया , अखबार की मानिंद  ,
कि हम सब एक थें , सदियों से , कैसे भूल  पायेंगे !

हम  ही  बस श्रेष्ठ  हैं , बस इसलिए हम लड़ते रहते हैं  ,
वहाँ  अल्लाह -प्रभु  है एक, जहाँ हम मर के जायेंगे !

हमारे  पास  इक  सी  माँ  है , घर  है , बच्चे  इक  से है  !
हमारी  इक  सी  कोशिश  है , कि   कैसे  मुस्कुरायेंगे  !

कि जिस दिन ठान लेंगे हम,  की मोहरें  हम नहीं  इनके  ,
हमारे   मौलवी   पंडित  व नेता  , कर   क्या  पायेंगे  ?

महज   भाषा  से  हमको  जोड़  कर  ,  लड़वा  ये देते  हैं  !
तो  आखिर अक्ल को अपनी , बता हम कब जगायेंगे  ?

हमें  महफूज  रखनी है ये दुनिया ,  बच्चों की खातिर,
चलो  खाते  कसम हैं अब, कि   इंसा  बन  दिखायेंगे  !

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