गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

tanu thadani चल दुःख दे दे मुझको अपने तनु थदानी

दुःख जाग रहा गजलों में अब, मैं सोया किस्मत सिरहाने !
दिल ने खुद  पे  ले  ली  बातें , अब क्या होगा मौला जाने !

ये  पीठ  पे  घाव  हुआ  कैसे ,कैसे  किस  पे  इल्जाम  रखुं ?
सब ही  तो हंस के  मिलें गले , कैसे  बोलो अब पहचाने ?

मां तेरी प्यार की  लोरी  सा ,मासूम वो लम्हा  ना मिलता ,
अब  मिलते  हैं  हर  ओर  यहाँ , बस छल के ही ताने -बाने !

हम अपनी अपनी गठरी में , दुःख  लाख लिये फिरते रहते ,
हर दर पे गठरी खोल खोल,  लगते हर इक को दिखलाने !

चल  दुःख  दे  दे मुझको अपने , पर शर्त माननी होगी कि ,
तुझसे   भी  दुःख  न पाये कोई,  चाहे जाने  या अनजाने !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें