बुधवार, 18 दिसंबर 2013

tanu thadani मैं सूफीयाना हो गया तनु थदानी

कंगाल था , इक नाम से ही ,इक खजाना हो गया !
तुझको  बना  मालिक मैं , बुद्धु से सयाना हो गया !

हाथों  को  उठा  माँगते , सिर  फोड़ते  हर  द्वार पे ,
सब ही तो है फिर ये तो खुद पे ,जुल्म ढाना हो गया !

मैं  मिला  मां  को , मुझे बीबी मिली,  बच्चा मिला ,
सब कह रहे जब तू मिला , तो मैं दीवाना हो गया !

सब  ढुंढ रहे  हैं  तुझे , काशी  से ले अजमेर तक,
अब खुद के भीतर ही गये ,जब इक जमाना हो गया !

जब मैं रहा मैं ही नहीं,फिर दुःख है क्या ओं दर्द क्या?
इस पार से उस पार बस, ये आना -जाना हो गया !

धर्मों की पकड़ से निकल, कोशिश की इंसा होने की
इंसान  ज्यूं  बनता गया , मैं सूफीयाना  हो गया !

तेरी  खुशी  में  गा  रहा  मैं , संग  मेरे  गा  जरा ,  
रोया दुःख में  तु मेरे ,   यूं  सुर  मिलाना हो गया !

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