मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

tanu thadani मेरी मां तनु थदानी


कभी न मैं भी रोऊंगा , कभी तुम भी नहीं रोना !
मेरी मां लौट जल्दी आऊंगा , उदास मत होना !

मेरा तकिया भी तेरी लोरियों को, गुनगुनाता है ,
तेरे घर भी रहे आबाद, बचपन का मेरा  कोना !

सभी कुछ है मगर मन मेरा, मांगे  रोटियां तेरी ,
मेरे सपनों में आ के गोल  गोल, रोटियां दो ना !

बिना तेरे ओ मेरी मां , यहाँ तो युद्ध है जीवन,
ये दुनियां पूरी पीतल की,तेरा आंचल ही था सोना !

तुम्हें क्यूँ अब भी लगता है ,मुझे दुःख है यहाँ कोई,
बस पूरा धुल गया, न सीख पाया, कपड़े मैं धोना !

तेरे आंगन में मेरे मन को , मां मैं छोड़ आया था ,
पकड़ रखना उसे जाने न देना , अब तो खुश हो ना ?

रविवार, 29 दिसंबर 2013

tanu thadani चलो समर्पण बोतें हैं तनु थदानी


पत्थर पूजें , कृष्ण को माने , मन में मीरा भी गाये !
लेकिन शर्म जो नहीं नयन में, प्रेम जनम कैसे पाये ?

लाखों मीटर खोदा मैने, हर इक दिल को  कलयुग में ,
प्रेम मिला न रत्ती भर भी , मिलें थे पत्थर मुँह बाये !

जय माता दी अल्लाह अल्लाह,कहते कहते जब लड़ते,
प्रेम ही कटता,प्रेम ही मरता ,घर वापस बस तन आये !

जीवन  की  रफ्तार  तेज  है , रौंद  प्रेम  आगे  बढ़ते ,
जाना कहाँ है नहीं है निश्चित, कैसे कहाँ पे रुक जाये ?

सत्संग से कोठे तक वाले, शोध पत्र में खोज लिये ,
जिक्र प्रेम का अलग अलग था , परिभाषा में दर्शाये !

हमें  पढ़ाना  प्रेम है  लेकिन, शक्ल  प्रेम  की भूल गयें ,
भावी नस्ल में प्रेम को कैसे , बतलाये ओं समझाये !

प्रेम की खेती कर भी ले हम, लेकिन  बीज कहाँ बंधु,
चलो समर्पण बोतें हैं फिर, शायद प्रेम ही उग आये !

tanu thadani करो जो इश्क तनु थदानी


जो  इंसान  हैं  चाहत  कभी , मरनी  ना  चाहिये !
करो जो इश्क  तो फिर आत्मा , डरनी ना चाहिये !

कई  काबिल  निकम्मे  क्यूँ   हुये , बर्बाद क्यूँ  हुये ,
भला क्यूँ आंखें आखिर इश्क में ,पड़नी ना चाहिये !

ये  मेरी  जिंदगी अकेले  मिलती , क्यूँ नहीं मुझसे ,
बहुत  सी  बातें  सरेआम  तो , करनी ना चाहिये !

गिलों के कप में हो शिकवे , पियुंगा लाख हो कड़वे ,
गिलों के कपों में तो जिद़ कभी , भरनी ना चाहिये !

ना पूछो खेलता क्यूँ  मैं यहाँ , तुकबंदियों के संग,
कोई भी आह दिल में देर तक,  सड़नी ना चाहिये !

गुरुवार, 26 दिसंबर 2013

tanu thadani घर लौट के आना तनु थदानी

यादें  कभी  न  पोछना , घर  लौट  के  आना !
पैसों  के  लिये सोच  ना , घर लौट  के  आना !

थक  जाना  जब  पैसे कमा , परदेश  में  बंधु ,
मां  के  लिये  भी सोचना, घर  लौट  के आना !

 रंगीनीयां  दुनियां  की  तुझे  , लील  जायेंगी ,
प्रलोभनों  को  कर  मना ,घर  लौट  के  आना !

छत अपने ही घर की सदा , महफूज  है होती ,
रोने  से  भी दिल अनमना , घर लौट के आना!

तेरे  बिना बिटिया का जो ,बचपन  गुजर गया ,
आ  के  उसे  ना खोजना , घर लौट  के  आना !

 तू बन गया , घर बन गया , ब्यापार भी बना ,
परिवार  भी  तो इक बना , घर लौट के आना !

बुधवार, 25 दिसंबर 2013

tanu thadani मुझसे न प्रेम किजिये तनु थदानी

मैं  तो  बस  लिबास  हूं , मुझसे  न  प्रेम  किजिये !
किसने कहा कि खास हूं ,मुझसे  न  प्रेम  किजिये !

मन्दिर मैं जाऊँ  क्यूँ भला , जो  हूं  मैं  मां  के संग,
जाहिर  है  कि बदमाश हूं ,मुझसे न  प्रेम  किजिये !

सच  कह  रहा  हूं  जानिए  , मुरदों  के  शहर  में  ,
इक  सांस  लेती लाश हूं , मुझसे न  प्रेम  किजिये !

परिचय  के  लिये  जानिऐ  , मेरा  पता  अब  ये  ,
भूखों  के  लिये  घास हूं  ,मुझसे  न  प्रेम किजिये !

मस्जिद  में भजन गा  पिटा ,है  बात  कल  ही की ,
अब  मंदिरों  के  पास  हूं , मुझसे  न  प्रेम किजिये !

मंगलवार, 24 दिसंबर 2013

tanu thadani क्या ये सियासत है तनु थदानी

खुद  ही  का  घर  है लूटता ,क्या  ये  सियासत  है ?
अपनों  का  साथ  छूटता ,  क्या  ये  सियासत  है ?

आते   चुनाव   आदमी    का  , जिस्म   ओं  ज़मीर,
इक   बुलबुले   सा  फूटता , क्या  ये  सियासत है ?

सौ   दिन   में   गरीबी   हटायेंगे   कहा   था   ये,
सचमुच ही वो सब  झूठ  था ,क्या ये सियासत है ?

हमने  जगह   दी   पलकों  पे , पर   यहाँ   उनका ,
सर  पे  हमारे   बूट था  , क्या  ये  सियासत  है ?

वोटर  फटी  कमीज  में  ,  नेता  जी   सदन   में ,
उनके  बदन  पे  सूट  था ,क्या  ये  सियासत है ?

मेहनत  की   पेट  बांध  के , रुपया  गया  गिरता ,
सब  कह रहें  थे भूत था , क्या  ये सियासत है ?

कुत्ते  ने  काटा , जब  की  मैं , बैठा  था  ऊंट   पे ,
 ये किस तरह का ऊंट था ,क्या  ये  सियासत है ?

रविवार, 22 दिसंबर 2013

Tanu Thadani बचपन मेरे तू लौट आ तनु थदानी

क्यूँ  घूमते, हो  कर  बड़े , अपना अहम्  ले हाथ में !
पिटते रहें, खुद ही से हम, फंसते खुद ही के घात में !

जब कद बढ़ा, तो दिल हमारा,क्यूँ सिकुड़ छोटा हुआ,
सिर को फंसाओ मत अरे , अब दिल की बात बात में !

हम   रौशनी   में  डूब  के , अंधे  बने , होना  ही  था ,
सब लुट गया , जो था जमा , फिर उम्र वाली रात  में !

ब्यापारियों  की नस्ल में , हम आदतन  ही  ढ़ल  रहें ,
क्यूँ  भूलते , कि खुश थे हम, मासूमियत  की जात में !

होटल  गयें  कभी   नहीं , अच्छा   हुआ  गरीब  थें ,
हमने  तो  लूटा  है  मजा , संग मां  के दाल - भात  में !

मुझको बना मालिक, जहाज़ों का ,भले कागज के ही ,
बचपन मेरे  तू  लौट आ  , किलकारियों  के साथ में !

शनिवार, 21 दिसंबर 2013

tanu Thadani मेरी बिटिया तनु थदानी

तू  मेरी  जिंदगी को  आ  के , मुक्कमल  कर दे !
मेरी बिटिया  मेरी सांसो  में आ,  जीवन भर दे !

सभी  कुछ  है  मेरे  मकान  में , बस  तेरे  सिवा ,
अपनी किलकारियों से आ के ,उसको घर कर दे !

तेरा   वजूद   मेरे   ख्वाब  में   है , रग - रग  में ,
स्वयंम्  को ख्वाब से निकाल के , धरा पे धर दे !

तेरे बाबुल  का जीवन,  बिन तेरे तो , रिक्त सा है ,
मुझे मासूम  छम - छम  से  भरा , मेरा ही घर दे !

तुझे  इक  बार  तो , बाँहों के , झूले  में  झुलाऊं ,
खुदा से  मौत के पहले , यही  मांगु , ये  वर  दे !

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2013

tanu thadani उस मौलवी को क्या कहूं तनु थदानी

मस्जिद में हाथ  जोड़ कर,  कुछ बुदबुदाया था !
तिरछी  हुई नजरें सभी , थप्पड़  भी खाया  था !

बेहद  अजीज  वो  था , बेहद  पसंद  थी   खीर  ,
फिर  भी  गया  न  ईद में , उसने  बुलाया   था !

मां  ने  कहा  था  बेटा  वो , गौ- मांस  खाते  हैं ,
छोटा था मैं ,मुझको समझ में ,कुछ न आया था !

 वो  भी  था  मजा  चाहता ,अम्मी  ने किया बंद,
होली  में   रंग   खेलने  को  , छटपटाया     था !

बातों  ही  बातों  में जो मेरा , जिक्र  था  आया ,
मुझको पता  चला  मुझे ,  काफिर  बताया  था !

  वो  मेरे   एतराज  पे , बोला  क्यूँ   दुःखी  हूं ,
उसको तो  मौलवी ने ही ,ये  सब  सिखाया था !

उस मौलवी को क्या कहूं , इक  शब्द की खातिर,
उस  शब्द से यारी  गयी , कुछ भी न भाया था !

नफरत  के  लिये  हम वजह, जो  धर्म को  माने ,
खोजो  ये नाम  हिंदू - मुस्लिम,  कौन  लाया था !

इंसान  हैं , इंसान  बन  के , रह  न  पायें  क्यूँ ?
भगवान  ने  क्या   हिंदू - मुसलमां बनाया था ??

गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

tanu thadani चल दुःख दे दे मुझको अपने तनु थदानी

दुःख जाग रहा गजलों में अब, मैं सोया किस्मत सिरहाने !
दिल ने खुद  पे  ले  ली  बातें , अब क्या होगा मौला जाने !

ये  पीठ  पे  घाव  हुआ  कैसे ,कैसे  किस  पे  इल्जाम  रखुं ?
सब ही  तो हंस के  मिलें गले , कैसे  बोलो अब पहचाने ?

मां तेरी प्यार की  लोरी  सा ,मासूम वो लम्हा  ना मिलता ,
अब  मिलते  हैं  हर  ओर  यहाँ , बस छल के ही ताने -बाने !

हम अपनी अपनी गठरी में , दुःख  लाख लिये फिरते रहते ,
हर दर पे गठरी खोल खोल,  लगते हर इक को दिखलाने !

चल  दुःख  दे  दे मुझको अपने , पर शर्त माननी होगी कि ,
तुझसे   भी  दुःख  न पाये कोई,  चाहे जाने  या अनजाने !

बुधवार, 18 दिसंबर 2013

tanu thadani मैं सूफीयाना हो गया तनु थदानी

कंगाल था , इक नाम से ही ,इक खजाना हो गया !
तुझको  बना  मालिक मैं , बुद्धु से सयाना हो गया !

हाथों  को  उठा  माँगते , सिर  फोड़ते  हर  द्वार पे ,
सब ही तो है फिर ये तो खुद पे ,जुल्म ढाना हो गया !

मैं  मिला  मां  को , मुझे बीबी मिली,  बच्चा मिला ,
सब कह रहे जब तू मिला , तो मैं दीवाना हो गया !

सब  ढुंढ रहे  हैं  तुझे , काशी  से ले अजमेर तक,
अब खुद के भीतर ही गये ,जब इक जमाना हो गया !

जब मैं रहा मैं ही नहीं,फिर दुःख है क्या ओं दर्द क्या?
इस पार से उस पार बस, ये आना -जाना हो गया !

धर्मों की पकड़ से निकल, कोशिश की इंसा होने की
इंसान  ज्यूं  बनता गया , मैं सूफीयाना  हो गया !

तेरी  खुशी  में  गा  रहा  मैं , संग  मेरे  गा  जरा ,  
रोया दुःख में  तु मेरे ,   यूं  सुर  मिलाना हो गया !