रविवार, 22 सितंबर 2013

tanu thadani तुम भी तो संत हो hey eshwar-3 tum bhi to sant ho हे ईश्वर -3 तनु थदानी

हाँ !  दिल के  कूड़ेदान  से  भी ,छांटता  हूँ  प्रेम !
तू  विष  परोस  तो  बदल  के  ,चाटता   हूँ  प्रेम !

मुझसे  नहीं   डरो  मैं  कुछ  भी , मांगता  नहीं  ,
मैं  तो  हूँ   इक  फ़क़ीर  सदा , बांटता  हूँ   प्रेम  !

तू  खेती  नफरतों  की  भले , कर  के  देख   ले  ,
तेरे   ही  खेत   आ  के  देख , काटता  हूँ   प्रेम  !

जब  गिर  पड़ो  गड्ढ़े  में  तो , मुझको पुकारना ,
मैं   वासना   के  गड्ढ़ों   में  ,पाटता   हूँ    प्रेम  !

बदरंग   दीवारों   को   कभी ,   छोड़ता    नहीं , 
अच्छी   लगे   दीवार  सो  मैं , साटता  हूँ  प्रेम  !

तुम  भी तो  संत हो अगर ,दाढ़ी  नहीं तो  क्या ?
खुल  के  कहो  की  नेक  हूँ औं , बांटता  हूँ प्रेम !

 



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