सोमवार, 19 अगस्त 2013

tanu thadani हम चुप ही रहते हैं hey eshwar -3तनु थदानी ham chup hi rahte hain हे ईश्वर-3

भली  आदत  थी  वो  मेरी , वो  आँखे  बंद  रखने  की !
सबों से  कट  गया  मैं जब  लगी , आदत  परखने  की !

खफ़ा थे लोग उनकी  शक्ल  जो ,उनको  ही दिखलायी ,
गलत  आदत  थी  वो  मेरी , आईना  साथ  रखने  की !

सदा   सच  बोलना  बेटा , मगर   बेटे  ने   समझाया ,
बुरी  आदत  है  ये  मेरी , यही   इक  बात  बकने  की !

अब  रोयें  या  कहो  हँस दे ,हमें  भत्ता  तो मिलता है ,
हमें   सरकार  ने   दी   नौकरी , है   धूल  फँकने  की !

या  कोई  मार  दे  या  गाली  दे , हम चुप  ही रहते  हैं ,
कहानी   है  पुरानी   जोश  औं , जज्बे   फड़कने  की !

हमारा  दोष  ही  कह  लो ,कि  हम  विश्वास  हैं करते ,
छकाते  सुख  हमें  क्यूँ  कि,हमें आदत  है छकने की !

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